यकीन | Yakeen

यकीन ( Yakeen )    भले दे न सको तुम मुझे अपनापन मेरा यूं मेरापन भी ले नाही पाओगे उस मिट्टी का ही बना हुआ हूं मैं भी इसी गंध मे तुम भी लौट आओगे… फिसलन भरी है जमीन यहां की फिसलते ही भले चले जाओगे महासागर बनकर बैठा हुआ हूं मैं मुझी मे तुम … Continue reading यकीन | Yakeen