योगेश की कविताएं | Yogesh Hindi Poetry
चांद पता नहीं क्यों पर आज मैंने भी बचपने सी ज़िद की, अपने मां से चांद लाने की मांग की, मां ने भी बड़ी मासूमियत से मुझे काला टीका लगा दिया, ले जाकर मुझे शीशे के सामने खड़ा कर दिया, और कहा,आओ तुम्हें मेरे चांद से मिलवाती हूं, इस शीशे में तुम्हें चांद से रूबरू … Continue reading योगेश की कविताएं | Yogesh Hindi Poetry
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