अपनों ने ज़ख्मों को रोज कुरेदे है | Zakhm shayari

अपनों ने ज़ख्मों को रोज कुरेदे है ( Apno ne zakhmon ko roj kurede hai )     किसने दामन के  ग़म दर्द समेटे है ! अपनों ने ज़ख्मों को रोज कुरेदे है   कैसे ख़ुशबू फैले फ़िर ये उल्फ़त की रूठे फूलों से क्यों  यार  बगीचे है   सबने  ज़ख्मों पर रगड़ा रोज नमक … Continue reading अपनों ने ज़ख्मों को रोज कुरेदे है | Zakhm shayari