सूनी बगिया
चारों ओर सामान बिखरा पड़ा है। चद्दर कंबल सब ऐसे पड़े हैं। घर नहीं कबाड़खाना बन चुका है। ऐसा हर समय नहीं रहता था। एक एक सामान बहुत शलीके से रखा रहता था क्या मजाल थी कोई सामान इधर से उधर हो जाए। लेकिन क्या कहा जा सकता है। मौत का ऐसा अनोखा झोंका आया…