मैं कितना बदल गया
मैं कितना बदल गया नस्लें बर्बाद हो गई हमारी आज के इस व्यवहार में,हर कोई आज बिक गया…
बड़ा ही नेक | Bada hi Nek
बड़ा ही नेक बड़ा ही नेक वो परिवार होगातभी अच्छा मिला संस्कार होगा कभी हमने न सोचा अपने…
मेरे हिस्से का प्रेम
मेरे हिस्से का प्रेम मैं तुम सेदूर हूँधूप और छाँव की तरहपुष्प और सुगंध की तरहधरा और नील…
अपनी दुनियां | Apni Duniya
अपनी दुनियां इस दुनिया के भीतर भी अपनी एक दुनिया होनी चाहिएमन के राज वहीं पर खोलना चाहिए…
बोली नहीं, हिंदी की सहभाषा है हरियाणवी : डॉ. रामनिवास ‘मानव’
फूहड़ सांगों, अश्लील रागनियों और भोंडे चुटकुलों से बढ़ना होगा आगे हरियाणवी बोली प्राचीन काल से ही अत्यंत…
कोकिला उपवन क्यों न आई
कोकिला उपवन क्यों न आई कोकिला उपवन क्यों न आईखिली बहारें यहां रुत पतझड़ीकिसलय ने अश्रु बूंदें टपकाईकोकिला…
ये क्या हुआ
ये क्या हुआ तू सत्य की खोज में चल मानव,क्योंकि हर तरफ दिख रहा है दानव।। सब एक…
ज़िंदा तो हैं मगर
ज़िंदा तो हैं मगर ख़ुद की नज़र लगी है अपनी ही ज़िन्दगी कोज़िंदा तो हैं मगर हम तरसा…
हमसे अब नाराज़गी अच्छी नहीं
हमसे अब नाराज़गी अच्छी नहीं आँखों में इतनी नमी अच्छी नहींहमसे अब नाराज़गी अच्छी नहीं बज़्म में बैठे…
मेहनत का मोल | लघु कथा
अरूण स्वाभिमानी लड़का था। वह कक्षा में सदैव प्रथम आता था। सब पूछते ” अरूण तुम घर में…