उरी विजय की गूंज

उरी विजय की गूंज

उरी विजय की गूंज जंगलों में गूंजे थे धमाके,भारत की सेना ने किया था हमला,नियति की दिशा बदल दी थी,सर्जिकल स्ट्राइक का था ऐलान। शेर की तरह ललकारते हुए,हमने दुश्मन को घेरा था,उरी की धरती पर निशान छोड़ा,शौर्य का इतिहास फिर से लिखा था। हमारे दिलों में जज्बा था,आत्मविश्वास से भरे थे हम,किसी भी चुनौती…

Extraordinary reputation

अलौकिक प्रतिष्ठा

अलौकिक प्रतिष्ठा तुम शब्दों से परे हो,तुम्हें बयाँ करना मेरे लिए आसान नहीं।तुम्हारी सरलता में छिपा है गहराई का सागर,तुम्हारी मुस्कान में है दुनिया का उजाला। तुम वो हो, जो खुद को भूलकर,हर पल दूसरों के लिए जीता है।तुम्हारी सोच, सकारात्मकता का एक दर्पण है,जो हर अंधकार में रोशनी लाती है। तुम्हारे कंधों पर समाज…

मकर संक्रांति का आगमन

मकर संक्रांति का आगमन

मकर संक्रांति का आगमन पूस माह कीठंडी ठिठुरती रातेंऔर मकर संक्रांति काआगमन,लोहड़ी, बिहू, उगादि, पोंगलदेते दस्तक दरवाजों पर,मन प्रसन्न हो उत्सवके जश्न में जुट जाता,समझा जातातिल, गुड़, खिचड़ी,दान- धर्म – पुण्यके महत्व को।छोड़ सूर्यदेव दक्षिणायन को,प्रस्थित होते उत्तरायण में।थमें हुए समस्त शुभ-कार्यप्रारम्भ होतेइस दिन से।इसी दिन त्यागी देह,भीष्म पितामह ने,माँ यशोदा नेव्रत अनुष्ठान किया।माँ गंगा…

हलाहल का प्याला

हलाहल का प्याला

हलाहल का प्याला कुछ मन को इतना किया किसी ने मतवालापी गये सैकड़ों बार हलाहल का प्याला | हर डगर मोड क्या पग-पग पर था अंधियाराथा कहीं क्षितिज से दूर भाग्य का हरकाराहमने संघर्षो में कर्तव्यों को पाला ।कुछ मन को इतना किया किसी ने मतवालापी गये सैकड़ों बार हलाहल का प्याला |। अब आदि-अन्त…

एहसास

एहसास

भाभी जी, आप पिंकी को कैसे बर्दाश्त कर रही हो? पिंकी में मुझे बिल्कुल भी मैनर्स नजर नहीं आते। पूरे दिन अपने कमरे में ही पड़ी रहती है। हमसे बात करना बिल्कुल पसंद नहीं करती। इससे तो यह भी नहीं होता कि मैं कुछ दिनों के लिए अपने मायके आई हूँ तो मेरे पास बैठ…

sangati ka asar

संगति का असर

मेरा बेटा वंश कक्षा पांच में पढ़ता है। उसकी उम्र लगभग 10 वर्ष होगी। उसका हाल फिलहाल में एक दोस्त बना है। उसका नाम मनीष है। उसकी उम्र लगभग 11 वर्ष होगी। वह तीन-चार बार वंश के साथ घर आ चुका था। हर बार मुझे उसका व्यवहार बड़ा अजीब लगा। वह मात्र 11 वर्ष का…

पत्थर तोड़कर पेट भरने वाले हाथ

पत्थर तोड़कर पेट भरने वाले हाथ

अरे दादा ….न जाने कितनी पीढ़ियों से हम यह काम करते आ रहें हैहमारी कितनी ही पिढीयों ने इन पत्थरों कि कठोरता को छेनी और हथौडीं कि मार दे देकर इन कठोर पत्थरों को आकार देने की कला को तराशा है। किसी पत्थर में चक्की तराशी जो कडक से कडक अनाज को पीसकर आटा बनाने…

हमेशा इश्क में

हमेशा इश्क में

हमेशा इश्क में हमेशा इश्क में ऊँची उठी दीवार होती हैनज़र मंज़िल पे रखना भी बड़ी दुश्वार होती है सभी उम्मीद रखते हैं कटेगी ज़ीस्त ख़ुशियों सेनहीं राहत मयस्सर इश्क़ में हर बार होती है । बढ़े जाते हैं तूफानों में भी दरियादिली से वोदिलों को खेने वाली प्रीत ही पतवार होती है नहीं रख…

मैं सोचता रहा

मैं सोचता रहा

मैं सोचता रहा मैं सोचता रहा उसे जिस पल ग़ज़ल हुईफिर सर से पांव तक ये मुसलसल ग़ज़ल हुई कुछ तो नशा भी चाहिए था काटने को जीस्तऔर ऐक दिन मेरे लिए बोतल ग़ज़ल हुई भड़की है आग बन के जिगर में कहीं,कहींदिलबर के गोरे पांव की पायल ग़ज़ल हुई हफ़्तों कलम उठा न रक़म…

हरियाणा के बड़वा का झांग-आश्रम

हरियाणा के बड़वा का झांग-आश्रम: जहाँ मुग़ल बादशाह जहाँगीर ने डाला था डेरा

1620 ईसवी के आस-पास मुग़ल बादशाह जहाँगीर (सलीम) उत्तर- पूर्वी पंजाब की पहाड़ियों पर स्थित कांगड़ा के दुर्ग जाने के लिए इसी रास्ते से गुज़रे थे। उस दौरान उनकी सेना ने आराम करने के लिए इस क्षेत्र में पड़ाव डाला था। तभी उनकी मुलाक़ात यहाँ के संत पुरुष लोहलंगर जी महाराज से हुई। तब पीने…