जीवन-भाग-1

जीवन-भाग-1

जीवन-भाग-1 हम अपने जीवन मेंचले जा रहें है कोईदौड़े जा रहे तो कोईदिशाहीन से भटक रहे हैआखिर हम सब जाकहां रहे हैं? मंज़िल कीतलाश है राह दिखती नहींराह तो है पर मंजिलनिश्चित नहीं राह औरमंज़िल दोनों है पर गति नहींआखिर क्या करे ?कैसी ये पहेली है किजीवन जीते सब हैंपर विरले ही जीवनअपना सार्थक जीते…

प्रदीप छाजेड़ की कविताएँ | Pradeep Chhajed Poetry

प्रदीप छाजेड़ की कविताएँ | Pradeep Chhajed Poetry

परिवार-ध्रुव-1 परिवारहै संजीवन जीवन काहमको जो सदैवसही गलत काज्ञान देता हैसंस्कारों का सहीसे बीजारोपण करविकास में बढ़ाता हैहमारी पहली स्कूलपरिवार ही होती हैनम्रता का हमकोपाठ परिवार सेसीखने को मिलता हैआपस में मिल-बैठ करप्रेम-भाव से बात कररहना समझनाप्यार विश्वास स्नेहआदि परिवार हीहमको सिखाता हैवह दैनिकचर्या मेंसही से हमको खुशरहना परिवारही सिखाता हैवह छोटी-छोटीक्रमशः आगे परिवार-ध्रुव-2 बातों…

तेरी याद

तेरी याद – मेरी कविता

तेरी याद – मेरी कविता सुनो दिकु… आज जब तेरी खबर मुझ तक आई,आँखें भीग गईं, रूह मुस्काई।सुना — आज भी वही जज़्बा है,दिकुप्रेम तेरे दिल में भी ज़िंदा है। रोक रखा है तुझे वक़्त और क़समों ने,तेरे फ़र्ज़ और रिश्तों ने।तू चाहकर भी कुछ कह नहीं पाती,पर तेरी ख़ामोशी मुझसे बात है कर जाती।…

मुक्तिपथ

मुक्तिपथ

मुक्तिपथ चल पड़ा हूँ मैं,बंधनों की राख से उठकर,स्वप्नों के नभ को छूने जहाँ विचार, वाणी और विवेकस्वाधीन साँसें लेते हैं। नहीं चाहिए अबवह शांति,जो चुप्पियों की बेड़ियों में बंधी हो,न वह प्रेम,जो स्वार्थ के कटघरों में सज़ा काटे। मैं चाहता हूँएक उजासजो भीतर से फूटे,एक सत्यजो भय से नहीं, आत्मा से उपजे। संस्कारों की…

अद्वितीय

अद्वितीय

अद्वितीय दर्शन की भाषा मेंकहा जा सकता हैदूसरा कोई नहींव्यवहार की भाषामें कहा जा सकता हैअकेला कोई नहींअपेक्षित सुधार व परिस्कार हो,और उसके हर कदम के साथसंतुलन का अनोखा उपहार होबाहरी दुनियां का भ्रमणतो केवल संसार समुद्र मेंआत्मा का भटकन है वहइसी में क्यों पागल बनाहमारा यह मन और जीवन हैजिस दिन हमें अन्तर केआनन्द…

ज़िंदगी

ज़िंदगी

ज़िंदगी तेरे बिना ये साँझ भी वीरान लगी,हर सुबह भी अब तो अनजान लगी,मैं मुस्कराया पर दिल रो दिया,दिकु, तूने इतनी गहराई से क्यों प्रेम किया? तन्हा हुआ तो वक़्त भी थम गया,हर रास्ता जैसे मुझसे छिन गया,जब तू थी, हर मोड़ पे तूने हौंसला दिया,दिकु, तूने इतनी गहराई से क्यों प्रेम किया? बातें अधूरी,…

वाणी और पानी -ध्रुव-2

वाणी और पानी -ध्रुव-2

वाणी और पानी – ध्रुव-2 वह ठीक उसी तरहअसंयमित बहते हुएपानी से बाढ़ कीत्रासदी, भूस्खलनआदि जैसे प्राकृतिकआपदाएं आ जाती हैवह गांव कस्बे सब जलसमाधि में विलीन हो जाते हैंऔर साथ में धन–जन आदिकी भी भारी क्षति होती हैइसलिए यह जरूरी हैकि पर्यावरण का संतुलनसही से बनाए रखें औरअसंयमित बहते हुएपानी और बिनाविचारे बोली वाणीदोनों पर…

वाणी और पानी

वाणी और पानी -ध्रुव-1

वाणी और पानी – ध्रुव-1 वाणी की मधुरताहमारे ह्रदय द्वारको सही सेखोलने की कुंजी हैपानी जीवन पर्यन्तहमारे साथ सदैवरहने वाला होता हैवह हमारे जीवन मेंरिश्ते भी काफीमहत्वपूर्ण होते हैंपहन ले हम चाहेकितने भी क़ीमतीवस्त्र या आभूषणपर वाणी बता देती हैकि व्यक्ति कितने पानी मेंजैसे कोयल और कागदिखते एक जैसेबोल मीठे सुनकोयल के दिल जीत लेतेपर…

आख़िर क्यों?

आख़िर क्यों?

आख़िर क्यों? क्यों हर राह तुझ तक जाती नहीं,क्यों तेरी झलक नज़र आती नहीं?हर रोज़ तुझे देखने की कोशिश की,फिर भी क्यों मेरी दुआ असर लाती नहीं? ना कोई शिकवा, ना कोई गिला है,तेरे बिना हर लम्हा मुझे अधूरा मिला है।मैंने तो बस तुझसे प्यार किया,फिर क्यों मुझे ये फ़ासला मिला? कभी ख्वाबों में, तो…

अमर

अमर

अमर दुनिया की हरवस्तु जन्म लेती हैऔर मरती हैइस मरणधर्माजगत में अमर कीकल्पना करने वालाकोई महान हीकल्पनाकार होगाकर्मों के सही सेक्षयोपशम होने परमनुष्य भव मेंसही से कर्मों काक्षयकर संपूर्णज्ञान प्राप्त होनेपर मिलन जबआत्मा से स्वयं काहोता तो आत्माके शुद्ध रूप सेफिर कोई भेदभेद न रहताज़िंदगी का सफ़रआयुष्य जितनाकेवली का होताधर्म का हीउस अवस्था मेंपहुँचने का…