Hindi poem on Hindi bhasha

आज का विचार – मंथन

वैसे तो इस जगत में असंख्य कवि और साहित्यकार जन्म लिये , लेकिन ; उसी कवि या साहित्यकार की कविता या लेखनी का मूल्य और महत्व होता है, जिसके कथनी और करनी में अंतर नहीं होता है।

वर्ना ऐसे तो कितने ही असंख्य कविगण आए और चले गए । ठीक इसी तरह हिन्दी दिवस मनाने वाले कितने आए और चले गए, पर महत्व उन्हीं का होता है, जो घर बाहर , बात व्यवहार और जीवनशैली में हिन्दी के साथ होते हैं।

वर्ना वाट्सएप समूहों तथा मंचों पर कितने ही तारीफ पाकर चलते बने। लेकिन नाम उन्हीं का युगों-युगों तक अमर रहता है, जिनकी लेखनी और करनी एक समान जीवन भर साथ साथ चली रहती है।

इसीलिए तो आचार्य श्री राम शर्मा जी ने कहा था – “जो शिक्षक दूसरों को जो शिक्षा देते हैं, यदि वे उसपर स्वयं भी अमल करें तो यह संसार स्वर्ग बन जाएगा।”
और तब मैं कह सकता हूं –
“कवि एक तरह से – राजनीतिक – सामाजिक व सार्वभौमिक शिक्षक ही होता है”

डॉ. आलोक रंजन कुमार

डॉ.आलोक रंजन कुमार

जपला, पलामू, झारखंड।

यह भी पढ़ें:-

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *