काव्यात्मा | क्षणिकाएं

काव्यात्मा | क्षणिकाएं

1) दृश्य बाहर देख मैं देखता अपने अंदर मौजूद काव्यात्मा 2) मैंने लिखी ये कविताएं कि सुन सकूं स्वयं को भारी शोर के बीच 3) जब चिल्लाते हो तुम कविता होती है निर्भय 4) इस बार किसी की ले ली होगी जान मेरे शब्द वाण 5) होती है अदावत शुरु होठों से 6) मैं लिखने…

kshanika Upasana Sthal

उपासना स्थल | क्षणिका

उपासना स्थल | kshanika   उपासना स्थल भव्य हों ऊंँची मीनारें, बुर्ज़ तने हों। उपासना करने वाले बौने चरित्र हों तो कैसे रक्षा करेंगे विशालकाय देवालय।।   @अनुपमा अनुश्री ( साहित्यकार, कवयित्री, रेडियो-टीवी एंकर, समाजसेवी ) भोपाल, मध्य प्रदेश यह भी पढ़ें :- Hindi Kavita | चार लाइनें