हम पंछी उन्मुक्त गगन के

हम पंछी उन्मुक्त गगन के

( Hum Panchi Unmukt Gagan ke )

धूप की पीली चादर को,
हरी है कर दें,
तोड़ के चाॅद सितारे,
धरती में जड़ दें,
सब रंग चुरा कर तितली के,
सारे जहाॅ को रंगीन कर दें,

हम पंछी उन्मुक्त गगन के,
उड़ें उड़ान बिना पंखों के,
अपने काल्पनिक विचारों को,
चाहें कि रख दें सच कर के,

हमारे विचारों का संसार वृहद है,
कल्पनाओं की हमारे कोई न हद है,
बच्चा हमें समझती दुनियाॅ,
भले समझदारी बेहद है।

Abha Gupta

आभा गुप्ता
इंदौर (म. प्र.)

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