रतन टाटा: एक ऐसा नाम जो युगों तक जीवित रहेगा
रतन टाटा, वह व्यक्तित्व हैं जो सिर्फ एक उद्योगपति नहीं, बल्कि एक प्रेरणा स्रोत थे। उनका जीवन एक ऐसे सफर की तरह था जिसमें विनम्रता, संघर्ष, और सफलता की अनूठी कहानी है। साधारणता से असाधारण बनने का यह सफर न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया के लिए मिसाल बना।
रतन टाटा का जन्म 1937 में एक प्रतिष्ठित पारसी परिवार में हुआ, लेकिन उनके प्रारंभिक जीवन में कठिनाइयाँ भी रहीं। एक शांत और विनम्र व्यक्तित्व के धनी रतन टाटा ने अमेरिका में आर्किटेक्चर की पढ़ाई की और फिर भारत लौटकर टाटा ग्रुप की बागडोर संभाली। जब उन्होंने 1991 में टाटा संस का नेतृत्व संभाला, तब समूह की वार्षिक आय लगभग 5 बिलियन डॉलर थी। उनके नेतृत्व में यह आंकड़ा 2012 में 100 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया।
उनका दृष्टिकोण सिर्फ व्यवसाय तक सीमित नहीं था, बल्कि हर उस इंसान के लिए था जिसे मदद की जरूरत थी। चाहे वो 2008 में नैनो कार का सपना हो, जिसे हर आम आदमी भी खरीद सके, या फिर टाटा ट्रस्ट्स के माध्यम से शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास में योगदान—रतन टाटा ने हमेशा अपने देश और समाज को आगे रखा।
उनकी विनम्रता का सबसे बड़ा उदाहरण तब देखने को मिला जब उन्होंने मुंबई हमले के दौरान ताज होटल के कर्मचारियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होकर लोगों की मदद की। उन्होंने हमेशा अपने कार्यों से यह सिद्ध किया कि सच्चा नेतृत्व वही होता है जो कठिन समय में अपने लोगों का साथ न छोड़े।
आज, जब वे हमारे बीच नहीं हैं, तो भी उनका नाम हर दिल में जीवित है। उनका जीवन हमें सिखाता है कि सफलता का माप सिर्फ दौलत नहीं, बल्कि दूसरों की मदद करना और समाज को बेहतर बनाना है।
रतन टाटा जी का जीवन हमें सिखाता है कि बड़े सपने देखने और उन्हें साकार करने के लिए विनम्रता और सच्ची निष्ठा कितनी महत्वपूर्ण होती है। उनका जाना एक युग के अंत जैसा है, लेकिन उनकी यादें और योगदान युगों तक प्रेरणा देते रहेंगे।
प्रेम ठक्कर “दिकुप्रेमी”
सुरत, गुजरात
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