seminar organized on Teachers' Day

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में शिक्षक दिवस पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

कुरुक्षेत्र विश्वविधालय, कुरुक्षेत्र के हिन्दी – विभाग में शिक्षक दिवस के अवसर पर सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयन्ती के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर हैदराबाद के मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ० पठान रहीम खान ने कहा कि भारतवर्ष की पुण्यभूमि पर अनेक गुरुओं सन्तों पदार्पण होता रहा है। जिनके ज्ञान और विवेक से भारतवर्ष गौरवान्वित हुआ है भारतवर्ष को सजाने और संवारने वाले विश्वगुरु बनाने वाले शिक्षक, सती सन्त और शूर हुए हैं, जिन पर हमें नाज़ और ताज है।

सागर (मध्यप्रदेश) डॉ० हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर आनन्द‌प्र‌काश त्रिपाठी ने कहा कि भारतीय गुरु की सुदीर्घ परस्परा में तमिलनाडू के जिस नवजात शिशु ने जन्म लिया और अपने वैदुष्य और शिक्षत्व धर्म से न केवल भारतवर्ष के अपितु सम्पूर्ण विश्व को प्रकाशित एवं गौरवान्वित किया। उनके पिता चाहते थे कि पुत्र पुजारी बने. पुत्र की इच्छा थी अंग्रेजी सीखने और शिक्षक बनने की।

राँची विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ० जंगबहादुर पाण्डेय ने कहा कि पंडित मदन मोहन मालवीय ने उन्हें ऑफर देकर BHU का कुलपति बनाया।डा सर्वपल्ली राधाकृष्ण अपने कुलपति के काल में प्रत्येक रविवार को विश्वनाथ मन्दिर में श्रीमद्भगवद्गीता पर प्रवचन करते थे। उनके उद्बोधन को सुनने के लिए न केवल छात्र-छात्राओं की अपितु शिक्षकों और श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती थी

हिन्दी – विभाग की प्रोफेसर एवं अधिष्ठाता भाषा एवं कला संकाय डा पुष्पारानी ने कहा कि राधाकृष्णन ने अनेक राष्ट्रीय एवं अन्तरष्ट्रिीय शिष्टमण्डलों का नेतृत्व किया। जब वे रुस के राजदूत थे तो वे नियमित रूप से लेनिन पुस्तकालय में अपने अध्ययन हेतु जाया करते थे। ज्ञान के प्रति उत्कृष्ट अभिलाषा ने उन्हें एक आदर्श शिक्षक बना दिया।

जब भारत-चीन और पाकिस्तान का युद्ध हुआ तो भारतीय सैनिकों के मनोबल को ऊंचा उठाने में सराहनीय योगदान रहा। भारत में सबसे पहला भारत रत्न से सम्मानित किया गया। वे भाषण कला के आचार्य थे और हाजिर जवाबी में ग़ज़ब के थे। सचमुच में वे आदर्श शिक्ष‌क के पर्याय थे। इस अवसर पर विभाग के शिक्षक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी और अन्य अतिथि मौजूद रहे।

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