इंसानियत खो गई

इंसानियत खो गई | Insaniyat Kho Gayi

इंसानियत खो गई ( Insaniyat Kho Gayi ) बिछुड़न की रीति में स्वयं को पहचाना भीडतंत्र में बहुत प्रतिभावान हूँ जाना ।।1। नयन कोर बहते रहे शायद कभी सूखे राधा का चोला उतार पार्वती सरीखे ।।2। तुम गए ठीक से, पर सबकुछ ठीक क्यूँ नहीं गई इरादे वादे सारे तेरे गए पर याद क्यूँ नहीं…