शिखा खुराना जी की कविताएँ | Shikha Khurana Hindi Poetry
ये ज़िंदगी रोज़ हमको कितना आज़माती है ये ज़िंदगी।इक पल की खुशियां देकर रूठ जाती है ये ज़िंदगी। सवालों की लड़ियां बनी रहतीं हैं मस्तिष्क में।जवाबों को इतना क्यों उलझाती है ये ज़िंदगी। नाउम्मीदी ने जब मौत से अब कर ही ली है दोस्ती।जीने की फिर उम्मीद क्यों बंधाती है ये ज़िंदगी। हर सांस को…