क्या आचार डालोगे रूप का | Kya Achar Dalogi Roop ka

क्या आचार डालोगे रूप का | Kya Achar Dalogi Roop ka

क्या आचार डालोगे रूप का आज समोसा बोला कवि से,क्यों इतना घबड़ाते हो। मिलाकर चटनी,खट्टी मीठी,अपना स्वाद बढ़ाते हो। मेरी कैसी दुर्गति होती,क्या तुम कभी लिखपते हो। देख तड़पता मुझको तलते,अपना हाथ बढ़ाते हो।। पहले पानी डाल मजे से,घूंसे से पिटवाते हो। हाथों से फिर नोच नोच कर,बेलन से बेलवाते हो। हरा लाल मिर्चों की…