क्यूं चाहते हो इतना

क्यूं चाहते हो इतना

क्यूं चाहते हो इतना     मुझे खूबसूरत पहेली बताता है जो आंखों से नींदे मेरी चुराता है वो   ख्वाबो से हटाकर धूल की परतें रुह को मेरी महकाता है वो   दिन हमेशा खिल जाता है गुलाब सा कांटे सभी दामन से छुडाता है वो   तन्हाईयों की जो लिपटी हुई थी चादरे…