घुमड़ घुमड़ घन अंगना आए

घुमड़ घुमड़ घन अंगना आए

घुमड़ घुमड़ घन अंगना आए घुमड़ घुमड़ घन अंगना आए। रिमझिम रिमझिम बुंदे लाए। ताल तलैया सब भर गए सारे। कारे बदरा घने गगन में छाए। धरा हर्षित हो झूमी भारी। धानी चुनरिया ओढ़े सारी। वृक्ष लताएं पुष्प सब महके। बारिश में भीग रहे नर नारी। कड़ कड़ दमक उठी दामिनी। मस्त बहारें हुई पुरवाई…