चाँद की व्यथा | Kavita Chand ki Vyatha
चाँद की व्यथा ( Chand ki Vyatha ) चाँद सागर से कहता रहा रात भर, तुम मचलते रहो मैं तरसता रहूँ ।। तुम उफनते रहो अपनी लहरों के संग मैं तो खामोश तुम को तकता रहूँ l अपनी पलकों में तुमको छिपाये हुए, मैं यूँ ही उम्र भर बस पुलकता रहूँ ।। अपने दामन को…