देख रहे सब चीरहरण

देख रहे सब चीरहरण

 देख रहे सब चीरहरण     बैठे धृष्टराज की अंधी सभा में  देख रहे सब चीरहरण , कुछ लगाते ठहाका  ,  द्रोणाचार्य ,विदुर ज्ञानी हैं बैठे मौन , बोल न पाता है कोई न्याय वहां?    दुष्शासन के दुस्साहस को दे रहे ताल वहां, द्रोपदी भरी सभा में मांग रही  इज्जत की भीख वहां?  सुन…