नए जगत की रीत निराली | Kavita Naye Jagat ki Reet Nirali
नए जगत की रीत निराली ( Naye jagat ki reet nirali ) नए जगत की रीत निराली, सुनो आज तुम धरम ज़बानी, मौसम बदले,बदली कहानी, विष है मीठा, अमृत कुनैनी !! बीता बचपन, गई जवानी, बीत गई सब बात पुरानी, बुढ़ापे छलकी अब रवानी, आई बनकर नूतन कहानी !! कलयुग की है नई कहानी, उलटी…