निद्रा
निद्रा शांत क्लांत सुखांत सी पुरजोर निद्रा। धरती हो या गगन हो हर ओर निद्रा।। विरह निद्रा मिलन निद्रा सृष्टि निद्रा प्रलय निद्रा, गद्य निद्रा पद्य निद्रा पृथक निद्रा विलय निद्रा, आलसी को दिखती है चहुंओर निद्रा।।धरती० सुख भी सोवे दुख भी सोवै सोना जग का सार है, सोना ही तो…