बिन मानवता | Kavita Bin Manavta
बिन मानवता ( Bin Manavta ) मैं घंटा शंख बजाऊं,या मंदिर मस्जिद जाऊं। बिन मानवता के एक पल भी,मानव न कहलाऊं।। पहले हवन बाद में दहन,क्यों दुर्गति करवाऊं।। सीधा सादा जीवन अपना,मानव ही कहलाऊं।। दिन में रोजा रात में सो जा,मुर्गी मुर्गा खाऊं। अपनों की परवाह नहीं,दूजा घर भात पकाऊं।। जाति धर्म और भाई…