बैठ जाता हूँ
बैठ जाता हूँ कितना इंतज़ार करता हूँ मैं हर सुबह और शाम इसी आस में कि अभी उसका फ़ोन आएगा और पूछेगी मुझसे मेरा हाल…… आता है जब फ़ोन चार पाँच दिनों के बाद बस दो मिनट भी नहीं कर पाती बात और बिन कहे ही काट देती है कॉल मैं बोलता…
बैठ जाता हूँ कितना इंतज़ार करता हूँ मैं हर सुबह और शाम इसी आस में कि अभी उसका फ़ोन आएगा और पूछेगी मुझसे मेरा हाल…… आता है जब फ़ोन चार पाँच दिनों के बाद बस दो मिनट भी नहीं कर पाती बात और बिन कहे ही काट देती है कॉल मैं बोलता…