मन के भाव

मन के भाव | Kavita Man ke Bhav

मन के भाव ( Man ke Bhav ) करूँ मैं कैसे व्यक्त भाव मन के ठहरते नहीं जब भाव मन के भावों ने ही तोड़ दिया रिश्ते सारे बिखर गए भाव के मनके मनके मर सी गई हैं भावनाएं मन की सूख सी गई हैं शाखे जीवन की अपनापन तो कहीं दिखता नहीं दिल से…