Bharat Desh par Kavita

राष्ट्रधर्म | Kavita Rashtradharm

राष्ट्रधर्म ( Rashtradharm ) देश काल सापेक्ष संस्कृति का जिसमें विस्तार है। राष्ट्र धर्म है श्रेष्ठ सभी से, सब धर्मों का सार है। प्राप्त अन्नजल जिस धरती से, बनी प्राणमय काया, जिसकी प्रकृति सम्पदा पाकर, हमने सब भर पाया, पवन प्रवाहित हो श्वांसों में, ऊर्ज्वस्वित है करता, अपने विविधि उपादानों से, जीवन सुखद बनाया, करे…