रिश्ते-आम कह दूॅ क्या

रिश्ते-आम कह दूॅ क्या?

रिश्ते-आम कह दूॅ क्या? सुनहरी याद को जाम कह दूँ क्या? इस ह्दय को शमशान कह दूँ क्या ।।1। अब प्रतीक्षा सीमा से ज्यादा हो गई, अवतार कल्कि समान कह दूँ क्या ।।2। रोग पुराना होकर भी पुराना कहाँ? दवा तारीफ की सरेआम कह दूँ क्या ।।3। रास्ते भी मंजिल से खूबसूरत बन जाते, प्रेमी…