कविताएँ लक्ष्य ByAdmin October 19, 2020December 30, 2020 लक्ष्य है दुनिया में ऐसा कौन? जिसका कोई लक्ष्य न हो। तृण वटवृक्ष सिकोया धरा धरणीपुत्र गगन हो। प्रकृति सभी को संजोया कण तन मन और धन हो। खग जल दिवा-रजनी बाल वृद्ध जन व पवन हो।। है दुनिया ० सब संसाधन यहीं हैं,सही है, कहां दौड़ते ऐ विकल मन…