लक्ष्य

लक्ष्य

लक्ष्य   है दुनिया में ऐसा कौन? जिसका कोई लक्ष्य न हो।   तृण वटवृक्ष सिकोया धरा धरणीपुत्र गगन हो।   प्रकृति सभी को संजोया कण तन मन और धन हो।   खग जल दिवा-रजनी बाल वृद्ध जन व पवन हो।। है दुनिया ०   सब संसाधन यहीं हैं,सही है, कहां दौड़ते ऐ विकल मन…