Krishna diwani

सबके संग रम जाते कृष्ण

सबके संग रम जाते कृष्ण अँखियन मिचत रोवत आवे कृष्ण, नटखट कन्हा खूब ही भावे कृष्ण । माँ पुकार से जियरा हरसाये कृष्ण, घुटुरन बकैया-बकैया मनभावे कृष्ण ।। माटी मुंह, रज चंदन देह में लपेटे कृष्ण, क्रीड़ा करत मित्र ब्रज वीर समेटे कृष्ण । मुग्ध गोपियन, मुग्ध मैया, बाबा है, कृष्ण, पशु पक्षी मुग्ध हो…