भूख | Bhookh Par Kavita
भूख ( Bhookh ) मैं भूख हूं, मैं मिलती हूं हर गरीब में अमीर में साधू संत फकीर में फर्क बस इतना किसी की पूरी हो जाती हूं कोई मुझे पूरा करने में पूरा हो जाता है मैं आदर्शवाद के महल के पड़ोस में पड़ी यथार्थवाद की बंजर जमीन हूं में मिलती हूं मजदूरों…