हस्ती | Kavita Hasti
हस्ती ( Hasti ) बरसती बूंदों को गिनते हो क्यों लहराते सागर को देखिये व्यक्तिगत मे झांकते हो क्यों उसके परिणामों को देखिये माना कि वह आज कुछ नहीं उसके मुकाम को तो देखिये कदमों को उसके देखते हो क्यों कर रहे उसके प्रयासों को देखिये रोक पाने की उसे हस्ती नहीं तुम्हारी वह बिकाऊ…