हिंदी दिवस | Hindi diwas kavita
हिंदी दिवस ( Hindi diwas ) मै हाल-ए-दिल अपना किसको सुनाऊँ, अपनी घुटन को कहाँ ले के जाऊँ। बुलंदी पे अपना कभी मर्तबा था , मै चाहू उसे फिर भी वापस ना पाऊँ । मै हिन्दी हूँ ,मुझको किया गैर सबने, मै अपनो की जिल्लत को कैसे भुलाऊँ । एक शाम मै बहुत खुश…