बांटकर | Baantakar
बांटकर ( Baantakar ) बंजर हुई धरा सत्य की चमन झूठ का हरशायाहै रिश्ते नाते सब दूर हुए जैसे कपट छल ने मन भरमाया है अपने ही अपनों में लगी है बाजी जीत हार में सब है जूझ रहे खोकर प्रेम भाव हृदय का अपने ही अपनों को है गिर रहे घर के…
बांटकर ( Baantakar ) बंजर हुई धरा सत्य की चमन झूठ का हरशायाहै रिश्ते नाते सब दूर हुए जैसे कपट छल ने मन भरमाया है अपने ही अपनों में लगी है बाजी जीत हार में सब है जूझ रहे खोकर प्रेम भाव हृदय का अपने ही अपनों को है गिर रहे घर के…