बच्चे मन के सच्चे | Bachchon ki poem
बच्चे मन के सच्चे ( Bachche man ke sachche ) बच्चे मन के सच्चे होते छोटे-छोटे प्यारे प्यारे। खेलकूद में मस्त रहते जान से प्यारे नैन तारे। नटखट नखरे बालक के भोली भोली बोली। सीधे-साधे अच्छे बालक करते हंसी ठिठोली। निश्चल प्रेम वो बरसाते संस्कार करके धारण। तभी बालरुप में आते जगतपति…