Bahar

अजीब रंग में बहार गुजरी | Bahar

अजीब रंग में बहार गुजरी ( Ajeeb rang mein bahar gujri )    अजीब रंग में अब के बहार गुजरी। आशाएं ले डूबी साल बेकार गुजरी। मौसम भी रहा मौन हवाएं थम सी गई। हमसे पूछे कौन फिजाएं खिल ना रही। देख कर भी अंजान क्या जमाना हुआ। टूटे दिलों का आज नया फसाना हुआ।…