बेख़बर हूं | Bekhabar Hoon
बेख़बर हूं ( Bekhabar Hoon ) जलता है खैरलांजी, जलता है मेरा मन गोहाना की राख सुलगती है अब भी मेरे लहू में, गोधरा की ट्रेन से झांकती वे मासूम आंखें करती हैं मेरा पीछा, बदायूं के बगीचे में शान से खड़े पे़ड़ पर टंगी दो लाशें दुपट्ट्टे पर खून के धब्बे, धब्बों में…