बेटे का फर्ज | Poem bete ka farz
बेटे का फर्ज ( Bete ka farz ) मां-बाप तीर्थ समान श्रद्धा से सेवा पूरी कीजिए पाल पोसकर योग्य बनाया दुख ना कभी दीजिए बुढ़ापे की लाठी बन बेटे का फर्ज निभा लेना आशीषों से झोली भर पुण्य जरा कमा लेना श्रवणकुमार सुकुमार पुत्र लेकर अंधे मां-बाप चारों धाम तीर्थ कराया सह…