Bhartiya Sanskriti par Kavita

भारतीय संस्कृति | Bhartiya Sanskriti par Kavita

भारतीय संस्कृति! ( Bhartiya Sanskriti )   अपने हाथों अपनी संस्कृति मिटा रहे हैं लोग, जिसे देखा ही नहीं उसे खुदा कह रहे हैं लोग। पहुँचाना तो था अंतिम साँस को मोक्ष के द्वार, संस्कारों से देखो फासला बढ़ा रहे हैं लोग। दधीचि की अस्थियों से ही देवता बनाए थे वज्र, आखिर क्यों बाल्मीक बनना…