ऐसी भीषण गर्मी | Garmi par Kavita
ऐसी भीषण गर्मी ( Aisi bhishan garmi ) कर लिया है गर्मी ने अभी से यह विकराल रूप, ऐसी भीषण गर्मी से यें शक्लें हो रहीं है कुरूप। तप रही है धरा एवं सभी प्राणियों का यह बदन, बुझ ना रही प्यास किसी की पड़ रही ऐसी धूप।। यह सहा नही जा रहा ताप दिन…