धिक्कार | Dhikkar
धिक्कार! ( Dhikkar ) सिसक रही क्यों ममता मेरी हाहाकार मचा है क्यों उर मेरे नारी होना ही अपराध है क्या क्यों सहती वह इतने कष्ट घनेरे पली बढ़ी जिस गोद कभी मैं उसने भी कर दिया दान मुझे हुई अभागन क्यों मैं बेटी होकर तब पूज रहे क्यों कन्या कहकर नारी ही नारायणी…