Dr. Priyanka Sonkar Poetry

प्रियंका सोनकर की पांच रचनाएं | Dr. Priyanka Sonkar Poetry

01. क्रांति ——– तुम जिस सभ्यता को संस्कृति कहते हो यही शोषण का कारखाना है तुम कहते हो इसे ही तो बचाना है मैं कहती हूं मुझे इसे ध्वस्त करना है शोषण का श भी नहीं चाहिए इस धरती पर मुझे जब जब शोषण के मुहाने पर सभ्यता की बुनियाद संस्कृति का परचम लहराती है…