मुंह में राम बगल में छुरी | Geet Munh mein Ram Bagal mein Churi
मुंह में राम बगल में छुरी ( Munh mein ram bagal mein churi ) छल कपट वैर भाव बढ़े, मनमुटाव बढ़ रही दूरी। अधरों पर मुस्कान धरे, मुंह में राम बगल में छुरी। मुंह में राम बगल में छुरी मन के सारे भेद जान ले, मीठी बातें करते रसधार। अपनापन अनमोल खो गया, तिरोहित…