निगाहों की दास्तानें | Geet nigahon ki dastaane
निगाहों की दास्तानें ( Nigahon ki dastaane ) कभी निगाहें ज्वाला उगले, कभी नेह बरसाती है नजरों का खेल निराला, कभी-कभी मुस्काती है। कभी-कभी मुस्काती है उमंग उल्लास भरे नैना, चमकते चांद सितारे से झील सी आंखों में ठहरे, भाव सुनहरे प्यारे से। नयनो की भाव भंगिमा, जाने क्या कह जाती है। रस्ता ताक…