पाठक तुम कब आओगे | Geet pathak tum kab aaoge
पाठक तुम कब आओगे ( Pathak tum kab aaoge ) पड़ी किताबें पूछ रही है पाठक तुम कब आओगे पुस्तकालय सूना लगता कब पुस्तक पढ़ पाओगे कब होगी हाथों में पुस्तक पन्ने पलट पढ़ो जरा शब्द शब्द मोती संजोये पोथियों में ज्ञान भरा आखर आखर पढ़ देखो किस्मत बदल पाओगे पुस्तकों से…