हुंकार की कवितायेँ | Hunkar ki Kavitayen
हुंकार की कवितायेँ 23. रिश्ते बहुत मजबूत रिश्ते थे, कि कुछ कमजोर लोगो से। निभाते तो भला कैसे, कि कुछ मजबूर लोगो से। कशक थी दिल मे जो मेरे ,बताते तो भला कैसे। बडे बेबस थे हम जुड के, कुछ मशहूर लोगो से। बडे ही सख्त लहजे मे, हमे इल्जाम दे कर के। मोहब्बत को…