एक आस अब भी | Kahani Ek Aas Ab Bhi
सुदेश जी का अपना बसा बसाया कारोबार हो चुका है जिंदगी एक प्रकार से सेटल हो गई इसके लिए उन्होंने बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ी। जिंदगी के चार दशक कैसे बीत गए पता ही नहीं चला। अपने व्यवसाय को ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए उन्होंने दिन को दिन नहीं समझा और रात को रात।…