दहकता कश्मीर | Kashmir par kavita
दहकता कश्मीर ( Dahakata kashmir ) कभी फूलों का गुलशन था,दहकता आग बन गया। कभी धरती का जन्नत था, जो अब विरान बन गया। कभी वो साज फूलों का, लो अब श्मशान बन गया। जो बसता है मेरे दिल में, वो नश्ल ए खास बन गया। वो घाटी देवदारों की, जहां केसर…