धान की कटनी

करै चला कटनी | Katni par Kavita

करै चला कटनी   ले ला रोटी-चटनी, करै तू चला कटनी, कि मोर धनिया! फिर से लूटिहा लहरवा कि मोर धनिया। ताजी- ताजी अइली हम अबहिन गवनवाँ, छूटल नाहीं हथवा से मेंहदी सजनवाँ। अउतै करावा मत अइसन खटनी, रजऊ समझा न हमके तू कव्वा-हकनी। ले ला रोटी-चटनी, करै तू चला कटनी, कि मोर धनिया! फिर…