अभियंता | kavita abhiyanta
अभियंता ( Abhiyantā ) हे अभियंता शिल्प नियंता तुम सृजन के आधार। बुद्धि विवेक ज्ञान के सागर हो सच्चे रचनाकार। गुण माप तोल सब रखते रचते कीर्तिमान। गढ़ लेते कृति आप बने जीवन का आधार। सकल जगत को देकर जाते निर्माणों की सौगात। याद करे दुनिया सारी जुबा पे होती सुहानी बात।…