अबोध

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अबोध ( Abodh ) बहुत अच्छा था बचपन अबोध, नहीं  था  किसी  बात का बोध। जहाॅ॑  तक  भी  नजर जाती थी, सूझता था सिर्फ आमोद -प्रमोद।   निश्छल मन क्या तेरा क्या मेरा, मन लगे सदा जोगी वाला फेरा। हर  ग़म मुश्किल से थे अनजान मन  में  होता  खुशियों का डेरा।   हर  किसी  में …