भाग्य

Kavita | भाग्य

भाग्य ( Bhagya ) जनक  ने चार  चार  पुत्री ब्याही थी, धरती के उत्तम कुल में। मिले थे छत्तीस के छत्तीस गुड़ उनके, धरती के उत्तम वर से।   पूर्व  जन्मों  का  तप था जनक सुनैना, हर्षित होकर इठलाते थे। दिव्य था रूप अवध के उत्तम कुल से, जुडने को है भाग्य हमारे।   कोई…